दोस्तों स्वागत है आपका इस ब्लॉग में – इस ब्लॉग में बात करेंगे कि खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या करने की कोशिश में क्या भारत शामिल है ?
खालिस्तानी गुरपतवंत सिंह पन्नू, जो खुद को खालिस्तान के प्रति प्रतिबद्ध कर चुके थे, का यह प्रयास हत्या करने का आतंकी हैरतंगी और दुखद है।यह घटना न केवल एक व्यक्ति की जान की हत्या है, बल्कि इससे उन्हीं के परिवार और समर्थन कर्ताओं को भी एक अदृश्य कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
एफबीआई अमेरिका की संघीय जांच एजेंसी ने खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू को मारने की साजिश को करा विफल। एफबीआई ने कहा कि खालिस्तानी पन्नू को अमेरिका में मारने की साज़िश रची जा रही थी।
बता दे पन्नू कनाडा और अमेरिका को नागरिकता मिली हुई है। ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स की माने तो अमेरिका ने भारत को इसके लिए चेताया है। इस दावे के बाद काफी सारे लोग परेशान है ,और यह कहा जा रहा है कि इन सब हालातों से कहीं बिगड़ ना जाए अमेरिका और भारत के रिश्ते।
आखिर कौन है गुरपतवंत सिंह पन्नू ?
खालिस्तानी गुरपतवंत सिंह पन्नू जिनका जन्म भारत के अमृतसर पंजाब में हुआ। यह पेशे से एक वकील है पंजाब और भारत के कई पड़ोसी क्षेत्रों से एक अलग धर्म आधारित राज्य बनाने के लिए वकालत करते हैं, जिसे खालिस्तान कहा जाता है। खालिस्तान जो अरबी भाषा के खालिस शब्द से लिया गया है। खालिस्तान का अर्थ है जमीन जो की खालसा की हो। मतलब जिस क्षेत्र में सिखों की आबादी अधिक है या जहां सिख रहते हैं उसे ही खाली स्तान कहा जाए। जिसकी मांग खालिस्तानी पन्नू करते हैं।
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सिख फॉर जस्टिस क्या है?
खालिस्तान के रूप में पंजाब को भारत से अलग करने के लिए ये संगठन बनाया गया । ये एक अमेरिकी आधारित समूह जो कि पंजाब को भारत से अलग करने का समर्थन करता है। इसे 2009 में स्थापित किया गया जिसके मुख्य वकील खालिस्तानी गुरपतवंत सिंह पन्नू है इसे संचालित करते हैं। यह संगठन उस समय बनाया गया जब इंदिरा गांधी के सिख संरक्षक ने उनकी हत्या की उसके बाद सिखों के साथ की गई हिंसा जिसमे लाखों सिखों को अपनी जान गंवानी पड़ी । यह समूह उन सिखों की हत्याओं का जवाब देने के लिए बनाया गया था । 2009 में भारत ने सिख फॉर जस्टिस पर लगाया था प्रतिबंध। इसका मुख्यालय न्यूयॉर्क संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थापित है।
प्रतिबंध एवं विरोध (सिख फॉर जस्टिस)
2015 में सिख फॉर जस्टिस के फेसबुक पेज को फेसबुक द्वारा भारत में ब्लॉक कर दिया गया।
10 जुलाई 2019 में (यूएपीए) अधिनियम के तहत 64 जस्टिस संगठन को भारत में गैरकानूनी गतिविधियां करने के लिए प्रतिबंध लगाया ।
लोगों को रेफंडरम 2020 के लिए पंजीकरण करने के लिए एसएफजे द्वारा बनाए गए एक एप की रिपोर्ट की गई और नवंबर 2019 में गूगल प्ले स्टोर से हटा दिया गया।
जनवरी 2020 में दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डीएम पटेल के अध्यक्षता में यूएपीए ट्रिब्यूनल के समूह पर प्रतिबंध बरकरार रखा।
पंजाबी सिख युवाओं को हथियार उठाने और गैर कानूनी गतिविधि करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए खालिस्तानी गुरपतवंत सिंह पन्नू को जुलाई 2020 में आतंकवादी घोषित किया गया ।
केंद्र सरकार ने 5 जुलाई 2020 को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक आदेश के माध्यम से और गृह मंत्रालय की सिफारिश पर लोगों को अपनी और गुरपतवंत सिंह पन्नू द्वारा चलाई गई 40 वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाया गया|
निष्कर्ष
इस घटना से हमें यह सिखना चाहिए कि हमें एक दूसरे के धार्मिक और राजनीतिक दृष्टिकोण को समझना और समर्थन करना हमारे समृद्धि का कीचड़ नहीं बल्कि एक सशक्त और सहयोगी समाज की दिशा में कदम बढ़ा सकता है. इस दुखद समय में हम खालिस्तानी गुरपतवंत सिंह पन्नू के परिवार और समर्थकों के साथ हैं और उन्हें हमारी गहरी संवेदना मिली है.