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पटना की धरती पर दिखाई देने वाला है भारतीय कृषि और पशुपालन का एक बेजोड़ उदाहरण। यहां, एक खास भैंसा जिसका नाम “Gholu-2” है, लोगों का आकर्षण बना हुआ है।
बिहार में एक नई रोचक कहानी धूम मचा रही है, जिसमें 30 हजार से ज्यादा बच्चों का बाप, घोलू-2 नामक भैंसा, बन चुका है। इस कहानी का केंद्र बिहार की राजधानी पटना में एक एक्सपो में है, जहां लोग इस बेजोड़ भैंसे की एक झलक पाने के लिए बेकरार हैं।
“Gholu-2” का लंबाई 14 फीट है
इस बेजोड़ भैंसे का नाम घोलू-2 है, और इसका मालिक पद्मश्री से सम्मानित किसान नरेंद्र सिंह है। घोलू-2 का लंबाई 14 फीट है और इसकी चमक देखने वालों को वाहवाही करा रही है। इस भैंसे को देखने के लिए लोग एक एक्सपो में उमड़ रहे हैं और इसकी uniqueness को समझने के लिए बेताब हैं।
घोलू-2 की कीमत 10 करोड़ रुपये
नरेंद्र सिंह ने बताया कि घोलू-2 की कीमत 10 करोड़ रुपये है, और इसके जैसा कोई भैंसा दुनिया में नहीं है। यह प्रतिदिन सुबह-शाम पांच-पांच किलो दूध पीता है और 30 किलो हरा चारा के साथ अतिरिक्त मिश्रित भोजन लेता है। इसका भोजन गर्मी में सरसों तेल और ठंड में घी के साथ मिलाकर दिया जाता है। इस पर प्रतिदिन दो हजार रुपये खर्च आते हैं, और इसके चार युवा बच्चे हैं।
सीमेन 300 रुपये में उपलब्ध
घोलू-2 ने अब तक करीब 30 बच्चों को जन्म दिया है, जो इसे बिहार के किसानों के लिए एक मौद्रिक धन साबित हो रहा है। इसका सीमेन 300 रुपये में उपलब्ध है और इससे पैदा होने वाली भैंसे 20 किलो से कम दूध नहीं देगी। इससे दूध उत्पादन दो-तीन गुना बढ़ जाएगा, और इसके बच्चे काफी दुधारू होंगे।
बिहार में हो रहा है एक आश्चर्यजनक और दिलचस्प किस्सा, जिसमें एक बड़े साइज के और बच्चों के दिलों को छूने वाले ‘घोलू-2’ नामक भैंसे का कहर बिखेर रहा है। इस बेजोड़ भैंसे ने नहीं सिर्फ बिहार को बल्कि पूरे देश को अपनी अनूठी गुणवत्ता के लिए प्रभावित किया है!
घोलू-2 का प्रभाव:
घोलू-2 का प्रभाव है एक अलग ही किस्म का, जिसे देखकर लोग हैरान हो रहे हैं। इस बड़े और भयानक भैंसे की खूबसूरती और उसकी चमक दर्शकों को बेहद प्रभावित कर रही है। इसका देखना तो एक खास ताजगी का अहसास कराता है!
घोलू-2 की खासियतें: नहीं सिर्फ इसकी अजीब ऊंचाई बल्कि इसकी उच्च गुणवत्ता वाली नस्ल ने इसे विश्वस्तरीय पहचान दिलाई है। घोलू-2 की दिलचस्पता यह है कि यह प्रतिदिन सुबह-शाम पांच-पांच किलो दूध पीता है और इसका भोजन गर्मी में सरसों तेल और ठंड में घी के साथ मिलाकर दिया जाता है।
सुंदर अनुभव:
घोलू-2 ने अब तक करीब 30 बच्चों को जन्म दिया है, जो बिहार के किसानों के लिए एक अमूल्य संपत्ति साबित हो रहा है। इसका सीमेन 300 रुपये में उपलब्ध है, और इससे पैदा होने वाली भैंसे 20 किलो से कम दूध नहीं देतीं, जो इसे बेजोड़ बना देता है!
विशेषताएँ और महत्व:
- बेजोड़ गुणवत्ता: घोलू-2 एक मुर्रा प्रजाति का भैंसा है जिसकी uniqueness और विशेषता के कारण इसकी कीमत 10 करोड़ रुपये है।
- उच्च उत्पादकता: इस भैंसे ने वर्षों में करीब 30 हजार बच्चों को जन्म दिया है, इससे इसकी महत्वपूर्ण उत्पादकता का पता चलता है।
- उत्तर प्रदेश और बिहार की विशेषता: इस एक्सपो में, उत्तर प्रदेश और बिहार की नस्ल के पशु भी प्रदर्शित किए गए, जिससे इन राज्यों की पशुपालन की विशेषता और उनके बेजोड़ प्रजातियों को मान्यता मिलती है।
- पद्मश्री से सम्मान: किसान नरेंद्र सिंह, जो पद्मश्री से सम्मानित हैं, ने इस भैंसे को पटना के एक एक्सपो में प्रस्तुत किया है।
- पालना और देखभाल: घोलू-2 का खास ध्यान रखा जाता है, जैसे कि इसका भोजन, दूध उत्पादन और अन्य देखभाल के लिए उचित सुविधाएं दी जाती हैं।
घोलू-2 की uniqueness और इसकी उच्च गुणवत्ता वाली नस्ल ने इसे बिहार डेरी एंड कैटल एक्सपो में एक चमकदार आकर्षण बना दिया है। इस अनूठे भैंसे के माध्यम से नरेंद्र सिंह ने पशुपालन के क्षेत्र में एक नया मानक स्थापित किया है और बिहार के किसानों को एक नई आशा दी है। इसके साथ ही, घोलू-2 ने अपने अनूठे गुणों के लिए एक नया परिचिति स्थापित किया है और लोगों को चौंका दिया है।
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बिहार के “घोलू-2” की विशेषता और उनकी प्रकृति से स्पष्ट है कि भारत में पशुपालन की दृष्टिकोण से भी कई uniqueness हैं। इस भैंसे की उच्च उत्पादकता, उत्तर प्रदेश और बिहार की विशेष नस्लों का प्रदर्शन और किसान नरेंद्र सिंह तोमर जैसे महान पद्मश्री सम्मानित किसान द्वारा इसे प्रस्तुत किया जाना, सबकुछ इस भैंसे की महत्वपूर्ण स्थानिकता को दर्शाता है।