BJP सरकार ने पहले ही साल 2020 में मदरसों को बंद करने का निर्णय लिया था.  

स्कूल सामान्य स्कूलों में तब्दील हो रहे हैं, जहां छात्रों को धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ अन्य विषयों में भी पढ़ाई कराई जाएगी. 

मदरसा छात्रों के अनुसार, इससे वहां पढ़ने वाले छात्रों के साथ नाइंसाफ़ी करने का मतलब है. 

धार्मिकता और वैज्ञानिकता का मेल बनाए रखना हमारे समाज को सशक्त बनाए रखता है. 

सामाजिक एवं वैज्ञानिक सोच का संबंधित ज्ञान होता है. आधुनिक शिक्षा का संरचना इस में मदद कर सकती है. 

BJP सरकार की इस पहल से विभिन्न सेक्टरों में मदरसा समृद्धि हो सकती है.  

1,281 मदरसों का नाम ‘मध्य अंग्रेज़ी स्कूल’ में बदलकर सामान्य स्कूलों में रूपंतरित करने का निर्णय लिया है। 

असम में मदरसे के नाम बदलने पर तूफान हो रहा है, और इस विवाद के पीछे छुपी राजनीति की बातें हैं। 

असम में दो प्रकार के मदरसे हैं – सरकारी और खेराजी।  

वर्ष 2021 में एक अधिसूचना के बाद असम में राज्य मदरसा बोर्ड को भंग कर दिया गया, 

2020 में लाए गए निरस्तीकरण अधिनियम ने सरकारी मदरसों को प्रभावित किया, 

मदरसों पर लगभग तीन से चार करोड़ रुपए का खर्च BJP सरकार को हर साल हो रहा था।