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शुभ मुहूर्त: विस्तार से जानकारी
Paush Amavasya 2024 पौष अमावस्या का आयोजन 10 जनवरी की शाम से 11 जनवरी की शाम तक होगा। इस अवधि में संध्याकाल के वक्त अमावस्या का पूर्ण आगमन होगा, जिसे धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है।
पौष महीने के इस विशेष समय पर, सूर्य उत्तरायण होता है और मकर संक्रांति का उत्सव मनाया जाता है। इससे 4 दिन पूर्व Paush Amavasya 2024 पौष अमावस्या आती है, जो धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए विशेष महत्व रखती है।
पूजा विधि: एक प्रमुख दृष्टिकोण
- स्नान एवं शुद्धिकरण: इस दिन गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान कर, अपने मन को शुद्ध करें।
- अर्घ्य दान: सूर्य देव को जल का अर्घ्य देने के बाद, पितरों को भी अर्घ्य देना चाहिए।
- पूजा और आरती: भगवान विष्णु की पूजा करते समय विष्णु चालीसा का पाठ और आरती का पाठ करें।
- Paush Amavasya 2024 पौष अमावस्या पर विशेष ध्यान और श्रद्धा के साथ पूजन और अर्चना की जाती है। सभी धार्मिक आचरणों का पालन करते हुए, इस दिन सूर्य देव को जल का अर्घ्य देना चाहिए, और पितरों को भी अर्घ्य देने का विशेष महत्व है।
Paush Amavasya 2024: जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
शुभ मुहूर्त: विस्तार से जानकारी
Paush Amavasya 2024 पौष अमावस्या 2024 का आयोजन 10 जनवरी की शाम से 11 जनवरी की शाम तक होगा। इस अवधि में संध्याकाल के वक्त अमावस्या का पूर्ण आगमन होगा, जिसे धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है।
महत्वपूर्ण तत्व: धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण
पौष महीने के इस विशेष समय पर, सूर्य उत्तरायण होता है और मकर संक्रांति का उत्सव मनाया जाता है। इससे 4 दिन पूर्व Paush Amavasya 2024 पौष अमावस्या आती है, जो धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए विशेष महत्व रखती है।
पूजा विधि: एक प्रमुख दृष्टिकोण
- स्नान एवं शुद्धिकरण: इस दिन गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान कर, अपने मन को शुद्ध करें।
- अर्घ्य दान: सूर्य देव को जल का अर्घ्य देने के बाद, पितरों को भी अर्घ्य देना चाहिए।
- पूजा और आरती: भगवान विष्णु की पूजा करते समय विष्णु चालीसा का पाठ और आरती का पाठ करें।
धार्मिक कर्मकांड और उपासना
- तर्पण और श्राद्ध: पितृ दोष से मुक्ति प्राप्त करने के लिए इस दिन तर्पण और श्राद्ध किया जाता है।
- उपवास और दान: Paush Amavasya 2024 पौष अमावस्या पर उपवास रखने और गरीबों को दान देने से धार्मिक फल प्राप्त होता है।
- Paush Amavasya 2024 पौष अमावस्या पर पितरों को तर्पण करने का विशेष महत्व है।
- शुभ मुहूर्त में जल में जाकर सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों का तर्पण करना चाहिए।
- तांबे के पात्र में शुद्ध जल, लाल चंदन और लाल रंग के पुष्प डालकर सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए।
इस विशेष अवसर पर, हम सभी को Paush Amavasya 2024 पौष अमावस्या के महत्व को समझने और इसे धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अपनाने का प्रयास करना चाहिए।
शुभ मुहूर्त
विषय | विवरण |
---|---|
शुभ मुहूर्त | 10 जनवरी की शाम से 11 जनवरी की शाम तक |
महत्वपूर्ण तत्व | सूर्य उत्तरायण, मकर संक्रांति का उत्सव, 4 दिन पहले पौष अमावस्या |
पूजा विधि | 1) स्नान एवं शुद्धिकरण 2) अर्घ्य दान 3) पूजा और आरती |
धार्मिक कर्मकांड और उपासना | तर्पण और श्राद्ध, उपवास और दान, पितरों का तर्पण, शुभ मुहूर्त में सूर्य देव को अर्घ्य |
महत्व | सूर्य के उत्तरायण के समय पौष मास में अमावस्या का आयोजन, धर्मिक कर्मों में महत्वपूर्ण |
ज्योतिष शास्त्र और धार्मिक दृष्टिकोण | उपवास, धार्मिक क्रियाएं और पुण्य की प्राप्ति के लिए शुभ मानी जाती है। |
महत्व
पौष मास में अमावस्या का आगमन धार्मिक और पौराणिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। सूर्य के उत्तरायण के समय इस अमावस्या का आयोजन होता है और यह संयोग धर्मिक कर्मों में विशेष महत्व रखता है।
ज्योतिष शास्त्र और धार्मिक दृष्टिकोण
ज्योतिष और धार्मिक दृष्टिकोण से Paush Amavasya 2024 पौष अमावस्या अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन कई लोग उपवास रखते हैं और अनेक धार्मिक क्रियाएं करते हैं ताकि उन्हें पुण्य की प्राप्ति हो सके।
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FAQ
- प्रश्न: पौष अमावस्या 2024 कब है?
उत्तर: पौष अमावस्या 2024 का आयोजन 10 जनवरी की शाम से 11 जनवरी की शाम तक है।
- प्रश्न: पौष अमावस्या का क्या महत्व है?
उत्तर: पौष अमावस्या में सूर्य उत्तरायण होता है और इससे 4 दिन पहले पौष मास में अमावस्या आती है, जो धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण है।
- प्रश्न: पौष अमावस्या पर क्या पूजा विधि है?
उत्तर: पूजा विधि में स्नान एवं शुद्धिकरण, अर्घ्य दान, और भगवान विष्णु की पूजा के समय विष्णु चालीसा और आरती का पाठ किया जाता है।
- प्रश्न: पौष अमावस्या के महत्व को किस दृष्टिकोण से देखा जाता है?
उत्तर: पौष अमावस्या को धार्मिक, ज्योतिषीय और पौराणिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन लोग उपवास रखते हैं और अनेक धार्मिक क्रियाएं करते हैं।