सारांश
हाल ही में, भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने एक महत्वपूर्ण प्रयोग से सफलता के साथ कहा कि वहने अपनी ऐतिहासिक चंद्रमा मिशन के साथ आया एक हिस्सा पृथ्वी के कक्ष में वापस ले लिया है। इस “प्रेरक मॉड्यूल” ने विक्रम लैंडर से अलग होकर चंद्रमा के करीब ले जाने के बाद इसे वापस पृथ्वी के कक्ष में पहुंचा दिया गया है। इस प्रयोग का महत्व इसरो की भविष्य की मानव मिशन्स की योजनाओं के लिए है।
लेख का आरंभ: चंद्रयान-3 का प्रेरक मॉड्यूल
- चंद्रयान-3: चंद्रमा के आदान-प्रदान का सारांश विवेचना का प्रारंभ करते हैं चंद्रयान-3 के महत्वपूर्ण घटक – प्रेरक मॉड्यूल के साथ।
Chandrayaan-3 Mission:
— ISRO (@isro) December 5, 2023
Ch-3's Propulsion Module (PM) takes a successful detour!
In another unique experiment, the PM is brought from Lunar orbit to Earth’s orbit.
An orbit-raising maneuver and a Trans-Earth injection maneuver placed PM in an Earth-bound orbit.… pic.twitter.com/qGNBhXrwff
- विक्रम लैंडर का और प्रग्यान रोवर के साथ सफल उतरना इसरो का इतिहास रचने वाले क्षण, जब विक्रम लैंडर और प्रग्यान रोवर ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में नैकिक स्थल पर उतरने का कारण बन गए।
- सोया हुआ लैंडर और रोवर: डेटा और छवियों का संग्रह लैंडर और रोवर ने दो हफ्तों तक डेटा और छवियां इकट्ठा की, जिसके बाद उन्हें चंद्रमा की रात्रि में ‘नींद मोड’ में डाला गया।
- प्रेरक मॉड्यूल: पृथ्वी की नई नजर से इस मॉड्यूल ने वैज्ञानिक उपकरण SHAPE के साथ पृथ्वी की नजर रखते हुए चंद्रमा को चक्कर लगाए रखा है और जानकारी को इसरो को भेजता है।
- अद्वितीय प्रयोग: मानव मिशन्स के लिए जानकारी इसरो ने बताया कि मॉड्यूल ने चंद्रमा के कक्ष में एक महीने तक काम किया और उसमें अब भी 100kg से अधिक ईंधन शेष है, जिसे उन्होंने भविष्य की चंद्रमा मिशन्स के लिए “अद्वितीय प्रयोग” करने के लिए उपयोग करने का निर्णय लिया है।
- मॉड्यूल का पृथ्वी लौटना: यात्रा और प्रयोग प्रेरक मॉड्यूल की यह जटिल रिवर्स यात्रा 9 अक्टूबर को शुरू हुई और पहला कदम इसने अपने कक्ष को 150किमी से 5,112किमी तक बढ़ाने में शामिल था।
- चंद्रमा के बाहर: पृथ्वी का पुनर्प्रवेश इसरो के एक प्रविष्ट में, मॉड्यूल ने 10 नवंबर को चंद्रमा को कई बार चक्कर लगाए और 22 नवंबर से यह पृथ्वी की कक्ष में चक्करा रहा है।
- मॉड्यूल की स्थिति: उच्च उड़ान में इसरो कहता है कि मॉड्यूल अब भी 115,000किमी से ऊपर है, जो जियोस्टेशनरी उपग्रहों की स्थिति से बहुत ऊपर है, और किसी भी संघटन के खतरे से बचने के लिए।
- SHAPE: धरती का अध्ययन इसका पेयलोड SHAPE धरती की अध्ययन करता रहता है और विश्लेषण के लिए डेटा भेजता है।
- विक्रम लैंडर की सफल “हॉप प्रयोग” सितंबर में, इसरो ने बताया कि विक्रम लैंडर ने सफल “हॉप प्रयोग” किया था, जिसमें लैंडर को उसकी इंजन को चलाने के लिए कहा गया था, जिससे वह लगभग 40सेंमी ऊपर उठकर 30-40सेंमी की दूरी पर उतरा।
- अंतिम प्रयोग: मानव मिशन्स की दिशा में एक कदम और यह प्रयोग इसरो को मानव मिशन्स और अंतर-ग्रहीय मिशन्स की दिशा में एक कदम और करीब ले जाता है, जैसा कि स्थानगत विज्ञान विद्यार्थिनी और अंतरिक्ष शिक्षा कंपनी के सह-संस्थापक मिला मित्र कहती है।
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- समापन: चंद्रयान-3 का सफल परिणाम
इस समापन में, हमने देखा कि इसरो के इस उपकरण के माध्यम से हमारी ज्यादा से ज्यादा जानकारी प्राप्त हो सकती है, जो हमें मानव और अंतरिक्ष अनुसंधान की दिशा में और बढ़ाता है।
प्रश्नों की अद्वितीयता (FAQs)
- क्या यह प्रयोग मानव मिशन्स के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है?
हाँ, इस प्रयोग से इसरो मानव मिशन्स की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम और बढ़ाता है।
- कैसे यह प्रयोग भविष्य की चंद्रमा मिशन्स के लिए महत्वपूर्ण है?
इस प्रयोग से मिलने वाली जानकारी से भविष्य की चंद्रमा मिशन्स के लिए अतिरिक्त जानकारी प्राप्त हो